
आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी, गलत खान–पान और तनाव के कारण पुरुषों की फर्टिलिटी पर असर पड़ रहा है। पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य के लिए स्पर्म काउंट एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। यह न केवल पुरुष की फर्टिलिटी क्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि संपूर्ण यौन स्वास्थ्य का भी संकेत देता है। जब कोई दंपत्ति गर्भधारण करने की योजना बनाते हैं, तो पुरुष के स्पर्म की गुणवत्ता और संख्या एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कम स्पर्म काउंट होने से प्राकृतिक गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है और कई मामलों में बांझपन (Infertility) का कारण भी बन सकता है।
स्पर्म काउंट को प्रभावित करने वाले कई कारक होते हैं, जिनमें लाइफस्टाइल, खान–पान, तनाव, प्रदूषण, और मेडिकल कंडीशंस शामिल हैं। सही जानकारी और उचित जांच से पुरुष अपने प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि स्वस्थ स्पर्म काउंट कितना होना चाहिए, इसे कैसे मापा जाता है और किन संकेतों पर ध्यान देना चाहिए।
सामान्य स्पर्म काउंट कितना होना चाहिए? (Normal Sperm Count Levels)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एक स्वस्थ पुरुष के वीर्य में मौजूद स्पर्म काउंट निम्नलिखित होना चाहिए:
- न्यूनतम स्पर्म काउंट: 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर
- कुल स्पर्म काउंट: 39 मिलियन प्रति स्खलन
- गतिशीलता (Motility): 40% या अधिक शुक्राणु सक्रिय होने चाहिए।
- मॉर्फोलॉजी (Morphology and Structure): कम से कम 4% शुक्राणु सामान्य आकार और संरचना वाले होने चाहिए।
यदि स्पर्म काउंट 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर से कम होता है, तो इसे ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) कहा जाता है। यह पुरुष बांझपन (Male Infertility) का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
स्पर्म की गुणवत्ता और अन्य महत्वपूर्ण पहलू (Sperm Quality and Important Factors)
स्पर्म की संख्या के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता भी गर्भधारण की संभावना को प्रभावित करती है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण कारक दिए गए हैं:
1. गतिशीलता (Motility)
स्वस्थ शुक्राणु को अंडाणु तक पहुँचने के लिए पर्याप्त गतिशील होना चाहिए। यदि शुक्राणु की गतिशीलता कम होती है, तो इसे एस्थेनोस्पर्मिया (Asthenozoospermia) कहा जाता है।
2. मॉर्फोलॉजी (Morphology)
शुक्राणु की बनावट और संरचना उसकी गुणवत्ता को दर्शाती है। यदि अधिकतर शुक्राणु असामान्य आकार के होते हैं, तो यह गर्भधारण में बाधा डाल सकता है।
3. वीर्य की मात्रा (Semen Volume)
एक स्वस्थ पुरुष का वीर्य सामान्यतः 1.5 से 5 मिलीलीटर तक होना चाहिए। वीर्य की मात्रा बहुत कम होने पर यह गर्भधारण की संभावना को प्रभावित कर सकता है।
4. पीएच स्तर (pH Level)
वीर्य का पीएच स्तर 7.2 से 8.0 के बीच होना चाहिए। अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय वीर्य शुक्राणुओं की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है।
कम स्पर्म काउंट होने पर क्या करें? (What to Do If Sperm Count Is Low?)
अगर किसी पुरुष का स्पर्म काउंट कम है, तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है। साथ ही, कुछ जीवनशैली में बदलाव करके इसे सुधारने में मदद मिल सकती है:
- स्वस्थ आहार लें – हरी सब्जियाँ, फल, नट्स और प्रोटीन युक्त आहार लें। मछली, अंडे और डेयरी उत्पादों का सेवन भी फायदेमंद हो सकता है। विटामिन C, विटामिन D, जिंक और एंटीऑक्सीडेंट्स का सेवन शुक्राणुओं की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
- व्यायाम करें – नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि करने से टेस्टोस्टेरोन स्तर बढ़ता है और शुक्राणु उत्पादन में सुधार होता है। योग और हल्की कसरत भी लाभकारी हो सकती है।
- तनाव कम करें – तनाव शुक्राणु उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। नियमित मेडिटेशन, गहरी साँस लेने की तकनीकें और पर्याप्त आराम तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- धूम्रपान और शराब से बचें – तंबाकू और शराब के अधिक सेवन से शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता प्रभावित होती है। नशीली दवाओं और स्टेरॉयड से भी दूर रहना चाहिए।
- पर्याप्त नींद लें – अच्छी नींद लेना हार्मोन बैलेंस के लिए आवश्यक है। रोज़ाना 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद लेना टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बनाए रखने में सहायक होता है।
- शरीर को हाइड्रेट रखें – पर्याप्त मात्रा में पानी पीना वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करता है।
- गर्म तापमान से बचें – अत्यधिक गर्म पानी से नहाने, लैपटॉप को गोद में रखने और टाइट अंडरवियर पहनने से शुक्राणु उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- हर्बल सप्लीमेंट्स लें – अश्वगंधा, शिलाजीत और मकाका रूट जैसे प्राकृतिक सप्लीमेंट्स शुक्राणु उत्पादन में सुधार कर सकते हैं।
स्पर्म काउंट टेस्ट कैसे किया जाता है? (How is Sperm Count Tested?)
स्पर्म काउंट जांच करने के लिए सीमेन एनालिसिस (Semen Analysis) किया जाता है, जिसमें निम्नलिखित चीजों की जांच की जाती है:
- स्पर्म की कुल संख्या (Total Sperm Count) – प्रत्येक स्खलन में कुल शुक्राणुओं की संख्या।
- गतिशीलता (Motility) – शुक्राणु कितने सक्रिय हैं और कितनी तेजी से चलते हैं।
- मॉर्फोलॉजी (Morphology and Structure) – शुक्राणु की बनावट और संरचना सामान्य है या नहीं।
- पीएच स्तर (pH Level) – वीर्य का एसिडिक या अल्कलाइन होना।
- तरलता (Liquefaction Time) – वीर्य का तरल बनने में लगने वाला समय।
कम स्पर्म काउंट के संकेत और लक्षण (Symptoms of Low Sperm Count)
कम स्पर्म काउंट का कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होता, लेकिन कुछ संकेत हो सकते हैं:
- यौन इच्छा में कमी
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन
- दर्द या सूजन (Varicocele की स्थिति में)
- बार–बार होने वाले हार्मोनल असंतुलन
डॉक्टर से संपर्क कब करें? (When to Consult a Doctor)
अगर 6-12 महीने तक नियमित प्रयास करने के बाद भी गर्भधारण संभव नहीं हो रहा है, तो पुरुषों को एक अंडरोलॉजिस्ट या फर्टिलिटी एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए।
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निष्कर्ष (Conclusion)
स्पर्म काउंट पुरुष प्रजनन क्षमता का एक महत्वपूर्ण कारक है। यदि आपका स्पर्म काउंट सामान्य स्तर से कम है, तो सीमेन एनालिसिस करवाना आवश्यक है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर, सही खान–पान और विशेषज्ञ सलाह से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।